नैनो कार की असफलता का क्या कारण है

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What is the reason of failure of nano car

नैनो कार का विज्ञापन भि एक वजह है क्यूकी उसे गरीब कि गाडी कि तौर पर बाजार मे उतारा गया तो उसका नतिजा ये निकाल कि लोग नॅनो लेने वाले आदमी को गरीब समझने लगे थे अनेक करणो मे से ये भि एक मुख्य कारण है ।

2009 में टाटा की नैनो कार के लॉन्च होने से पहले इसको लेकर चर्चा का बाजार गर्म था, लोग इस कार को लेकर तरह-तरह के सपने देख रहे थे। लेकिन लॉन्च के पहले टाटा नैनो को जो शोहरत हासिल हुई थी, मार्केट में आने के बाद उस हिसाब से इसकी बिक्री नहीं हुई। या यूं कहा जाए कि टाटा की नैनो मार्केट में धड़ाम से गिर गई, तो भी कुछ गलत नहीं होगा।

आखिर टाटा की नैनो का यह दुर्भाग्य क्यों हुआ, इसको समझने में हमें माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बिलगेट्स की सबसे पसंदीदा किताब, जॉन ब्रूक्स द्वारा लिखी गई ‘इट इज बिजनस एडवेंचर्स’ से मदद मिल सकती है।

इस पुस्तक के एक अध्याय में ‘एडसल’ कार का जो दुर्भाग्य हुआ उस पर विस्तृत चर्चा की गई है। 1955 में फोर्ड मोटर कंपनी ने 2,400 डॉलर से 4,000 डॉलर (करीब 1. 50 लाख से 2.50 लाख) कीमत के बीच एक कार मैन्युफैक्चर करने की घोषणा की थी। इस कार को लेकर भी उसी तरह का शोर था जैसा टाटा नैनो के लेकर था। कार का नाम फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड के बेटा एडसल फोर्ड के नाम पर एडसल रखने का फैसला लिया गया था।

एडसल के हौव्वे ने लोगों के मन में कार को लेकर कल्पनाओं और सपनों की झड़ी लगा दी। इसके इर्द-गिर्द जो हौव्वा खड़ा किया गया था उससे सब सोचने लगे थे कि यह आम कारों से हटकर होगी। जब 1957 में इसे मार्केट में उतारा गया और लोगों ने देखा कि यह कार तो आम कारों की ही तरह है, इसमें भी चार पहिये और एक इंजन लगे हैं तो उनका कार से मोहभंग हो गया। नतीजा यह हुआ कि कार बाजार में औंधे मुंह गिर गई। फोर्ड को इस कार पर 20 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा।

यही कुछ कारण टाटा की नैनो को भी फेल होने का रहा। 2009 में लॉन्च की गई नैनो की सेल्स 2010-11 और 2012-13 के बीच टाटा मोटर्स की कुल सेल्स का 23-24 प्रतिशत थी। लेकिन 2011-12 में 74,527 तक इसकी सेल्स पहुंचने के कारण अचानक इसकी मांग में बहुत जोरदार गिरावट आई। सिर्फ 2 सालों के अंदर इसकी सेल्स में 70 प्रतिशत की गिरावट आई और इसकी सेल्स 2013-14 में 21,129 पर सिमट गई। जबकि टाटा मोटर्स ने गुजरात के सदानंद में 250,000 नैनो प्रतिवर्ष उत्पादन करने के लिए फैक्ट्री स्थापित की है।

आमतौर पर यह होता है कि जब किसी प्रॉडक्ट को लेकर ज्यादा हौव्वा खड़ा किया जाता है तो लोग तरह-तरह की कल्पनाएं करने लगते हैं और कुछ अलग होने का सपना देखते हैं। जब हकीकत कुछ और होती है तो वह खुद को ठगा महसूस करते हैं।