दुनिया के अजीवो गरीब रीती रिवाज

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एक दर्दनाक रिवाज़

सातेरे मावे नामक एक कबीला अपने दर्दनाक रिवाज़ के लिए प्रसिद्ध है। जिसके अनुसार जैसे ही कबीले का कोई लड़का बड़ा हो जाता है या फिर अपनी जवानी में कदम रखता है तो उसे अपनी मर्दानगी का नमूना पेश करना पड़ता है।

मर्दानगी साबित करने के लिए

रिवाज़ के अनुसार वह लड़का कबीले के एक व्यक्ति के साथ पास के जंगल में जाता है जहां उसे बुलेट चींटियां खोजने का काम दिया जाता है। यह चींटियां दुनिया की सबसे तेज़ काटने वाली प्रजाति में से एक हैं, इसलिए उन्हें बुलेट की रफ्तार से काटने वाली चीटियां कहा जाता है।

बुलेट चींटियां

चींटियों को इकट्ठा करने के बाद उन्हें एक नशे की दवा दी जाती है ताकि वे सो जाएं और उठने पर काटने को तैयार रहें। जागने पर ये चीटियां खुद को एक बंद दस्ताने में पाती हैं जिससे गुस्से के मारे ये छटपटाती हैं।

कुछ मिनटों का दर्द

इन्हीं छटपटाती चींटियों को लिए दस्ताने में कबीले के उस लड़के के हाथ डाल दिए जाते है और फिर शुरू होता है दर्द का इम्तेहान। यह चींटियां उस लड़के के हाथों पर जोर-जोर से काटती हैं। कबीले के रिवाज़ के अनुसार इन दस्तानों को कम से कम 10 मिनट तक बांधकर नाचना होता है। यदि कोई लड़का इससे अधिक समय तक दर्द सहन कर लेता है तो उसे बेहद ताकतवर माना जाता है।

दक्षिण भारत का ‘थाईपुसम’ त्योहार

इससे भी अधिक दर्द ‘थाईपुसम’ नामक एक भारतीय रिवाज़ में दिया जाता है जहां भगवान मुरुगन, जिन्हें माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के रूप में भी माना जाता है, उनके जन्मदिन के अवसर पर लोग शरीर के विभिन्न भागों में छिद्र करवाते हैं।