अभी विष्णु भगवान कहां पर हैं ?

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प्रताप से विष्णु जी का आर्विभाव हुआ। वह अद्वितीय थे।

जैसा कि हिंदू धर्म में कहा गया है कि भगवान विष्णु सर्वशक्तिमान है। उन्होंने ही इस ब्रह्मांड की रचना की है। अतः वे सर्वव्यापी है। वह हर वक्त हर जगह मौजूद रहते हैं। परंतु वे सिस्टम ( विधि के विधान) में कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं.
श्री विष्णु जी जगत के पालन हारी है इसलिए वो अपने स्थान क्षीर सागर में रहते हुए भी इस जगत में है और सबका पालन कर रहे है और वैसे भी भगवान हर जगह मौजूद होते है ।
विष्णु जिसका शाब्दिक अर्थ है रक्षक।

 

समाज की रक्षा करना, इसका पालन करना विष्णुत्व है। अगर आप दूसरों की रक्षा करते है और उसमें आपका कोई स्वार्थ निहित नही तो आप स्वयं में विष्णु है।
‘वासुदेवं सर्वम इति’ सब कुछ श्री हरि ही हैं। कहा भी गया है, ‘जीत देखूँ तित नारायण।’ अर्थात जहां देखूँ वहीं नारायण विद्यमान हैं। यह समस्त संसार नारायण अर्थात विराट पुरुष में ही स्थित है। श्री विष्णु सहस्रनाम में भी भगवान के नामों ‘विश्वम विष्णुर्वषटकारो’ में श्री विष्णु नाम का तो अर्थ ही सर्वव्यापी है इसलिए हम कह सकते हैं , भगवान विष्णु कहाँ नहीं है बस देखने वाली आँख चाहियें। और जिस दिन वो आँख मिल गयी। अहा !! क्या कहने !!!

देवॠषि नारद ने भगवान से एक बार प्रश्न किया कि यदी मुझे आपसे मिलना हो तो आप कहां मिल सकते हैं उन्होंने उत्तर दिया “मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठमि नारद:”अर्थात मेरे भक्त जहां मेरा मंगल गान करते हैं मैं वहीं उपस्थित रहता हूं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मनुष्य को उन्हें बाह्य संसार में खोजने की अपेक्षा अपने अंदर ही खोजना चाहिए
भगवान विष्णु जी का बैकुंड धाम क्षीर सागर में है। कलयुग होने से कल्कि अवतरण होने वाला है ऐव दक्षिण के कीसी क्षेत्रीय परिवार मे ऊनका अवतार लेने के कई बार कहा जा चुका है ।