अभिनेता शाहरुख़ खान का पिता कौन थे ? बिलकुल शाहरुख़ जैसे दिखतें थे

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ये चित्र सिने अभिनेता शाहरुख खान के पिता ताज मुहम्मद खान का है।ताज मुहम्मद मूलतः पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार के रहने वाले थे।किस्सा ख्वानी बाजार वो जगह हैं जहां से दिलीप कुमार एवम पृथ्वीराज कपूर जैसे अभिनेता आये।ताज मुहम्मद खान अपनी युवावस्था में खान अब्दुल गफ्फार से प्रभावित थे और खुदाई खिदमतगार संगठन से जुड़े रहे।

शाहरुख के एक ताऊ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कई साल जेल में भी रहे।ताज मुहम्मद एक बहुत शिक्षित व्यक्ति थे।मास्टर डिग्री,एल एल बी एवम 6 भाषाओं का ज्ञान था।50 के दशक में इन्होंने अबुल कलाम आजाद के मुकाबले संसदीय चुनाव भी लड़ा जिसमे जमानत जब्त हुई।फिल्मों में भी रुचि थी।अनिल कपूर के पिता सुरेंद्र कपूर के साथ इनकी मैत्री पेशावर से ही थी।सुरेंद्र कपूर ,मुगले आजम में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम कर रहे थे तो ताज को भी छोटा रोल दिलवा दिया लेकिन ताज मुहम्मद को वो भूमिका पसन्द नही आई और काम नही किया।ये जब जीवित थे तो फिल्मों में शाहरुख की रुचि देखकर कहते थे कि बम्बई में मेरा दोस्त है सुरेंद्र कपूर।

उससे कह कर तुझे फिल्मों में काम दिलवा दूँगा।इतनी योग्यता होने के बाद भी इन्होंने गुड़गांव में टेम्पो किराए पर देने का काम किया।एनएसडी में कैंटीन चलाई।जब शाहरुख तरुण था तभी इनकी असाध्य रोग से म्रत्यु हो गयी।शाहरुख की माता लतीफ फातिमा मूलतः हैदराबाद की थी और आज़ाद हिन्द फौज के कैप्टन शाहनवाज की दत्तक पुत्री थी।शाहरुख स्वयम भी फौज में जाना चाहता था ।ncc का c सर्टिफिकेट लेकर ssb भी दिया लेकिन चयन नही हुआ

पुरानी दिल्ली के कमला नगर मे घर नंबर १२ए जहॉ यह किराए पर एक कमरा ले कर रहते थे और सब इन्हें मीरी साहब कह कर पुकारते थे। इनके तब के मकान मालिक तो शुरू से कहते आए थे कि शाहरुख़ खॉ मीरा साहब के सुपुत्र हैं पर मुझे उनकी बात पर विश्वास तब हुआ जब शाहरुख़ के एक ट्रस्ट बनाने की ख़बर पढ़ जो उन्होंने अपने पिता के नाम पर बनाया और उसमें पिता के नाम के साथ मीरी शब्द लगाया है।

बहुत पुरानी बात है पर संभवत: मीरी साहब तब अपने परिवार से अलग रह रहे थे । उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। लम्बेचौड़े गोरे चिट्ठे मीरी साहब अधिकतर अपने कमरे मे पढ़ते लिखते रहते थे और कमरे से बहुत कम ही बाहर आते थे।शाहरुख़ देखने मे अपने पिता के आसपास भी नही हैं । मीरी साहब बहुत आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी थे। फ़िल्मों में जा सकते थे पर उनकी रुचि पढ़ने लिखने और शायरी में थी ।